तू ही बन जा मेरा माँझी, पार लगा दे मेरी नैया .हे नटनागर, कृष्ण कन्हैया, पार लगा दे मेरी नैया ..इस जीवन के सागर में, हर क्षण लगता है डर मुझको .क्या भला है, क्या बुरा है, तू ही बता दे मुझको .हे नटनागर, कृष्ण कन्हैया, पार लगा दे मेरी नैया ..तू ही बन जा ...क्या तेरा और क्या मेरा है, सब कुछ तो बस सपना है .इस जीवन के मोहजाल में, सबने सोचा अपना है .हे नटनागर, कृष्ण कन्हैया, पार लगा दे मेरी नैया ..तू ही बन जा ...-----------------1971 में बाजी (मधू चंद्र) ने हैदराबाद हाउस के घर के पूजागृह में पूजा करते
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